गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार के बावजूद सरकारी खरीद लक्ष्य से कम, प्राइवेट खरीदारों की बढ़ती दिलचस्पी

देश में इस बार गेहूं की पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 1154.30 लाख टन और अमेरिकी कृषि विभाग ने 1170 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान जताया है। इसके बावजूद सरकार की तरफ से गेहूं की खरीद तय लक्ष्य से पीछे रह रही है। यह लगातार चौथा साल है जब ऐसा हो रहा है। अब तक हुई कितनी खरीद? सरकार ने इस बार 332.70 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक सिर्फ 296 लाख टन गेहूं खरीदा जा सका है। पिछले तीन सालों में भी यही स्थिति रही — 2024 में 266 लाख टन, 2023 में 262 लाख टन और 2022 में सिर्फ 188 लाख टन गेहूं खरीदा गया। किसानों को प्राइवेट खरीदारों से अच्छा भाव पहले किसान अपना ज्यादातर गेहूं सरकारी एजेंसियों को बेचते थे, लेकिन इस बार तस्वीर बदली है। प्राइवेट कंपनियों, जैसे कि फ्लोर मिल, व्यापारी, स्टॉक रखने वाले कारोबारी, किसानों से सीधे गेहूं खरीद रहे हैं। ये खरीदार किसानों को सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा दाम दे रहे हैं, जिससे किसान उनकी तरफ ज्यादा आकर्षित हुए हैं। सरकारी गोदामों में स्टॉक अच्छा, लेकिन सतर्कता जरूरी सरकार के पास अभी पुराने गेहूं का अच्छा भंडार है, इसलिए फिलहाल खाने-पीने के संकट की चिंता नहीं है। लेकिन सरकार जल्दीबाजी में अपना गेहूं बाजार में नहीं बेचना चाहती। वह चाहती है कि पहले व्यापारी और मिलें अपना स्टॉक बाजार में लाएं। अगर गेहूं की कीमतें ज्यादा बढ़ने लगीं तो सरकार स्टॉक रखने की सीमा भी तय कर सकती है। मंडियों में आवक तेज, दाम में हलचल पंजाब, हरियाणा, यूपी, एमपी और छत्तीसगढ़ की मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ी है। इस हफ्ते दाम 30–40 रुपए बढ़कर 2720–2730 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। फ्लोर मिलों और व्यापारियों की खरीद से बाजार में तेजी है। हालांकि गर्मी बढ़ने से आवक और बढ़ेगी, जिससे दाम में बहुत ज्यादा तेजी नहीं आएगी। लेकिन मौसम के बदलाव से थोड़ी बहुत तेजी आ सकती है। गेहूं की भरपूर पैदावार के बावजूद सरकार को कम खरीद मिल रही है, क्योंकि किसान अब प्राइवेट खरीदारों को गेहूं बेच रहे हैं। सरकार को बाजार और कीमतों पर नजर रखनी होगी ताकि आम लोगों को अनाज सस्ते दामों पर मिलता रहे।

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