दलहन आयात सरकार की नीति और घरेलू उत्पादन पर होगा निर्भर, आयात 5 अरब डॉलर के शिखर पर
वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत में भारत का दलहन आयात ऐतिहासिक उछाल के साथ 5 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 3.74 अरब डॉलर के मुकाबले काफी अधिक है। मात्रा के हिसाब से भी दलहन आयात रिकॉर्ड ऊंचाई पर रहा। इस बढ़ोतरी के पीछे सरकार द्वारा तुवर, उड़द और मसूर के साथ-साथ पीली मटर (दिसंबर 2023 से) और देसी चना (मई 2024 से) पर आयात शुल्क को शून्य किए जाने का असर रहा। इसका नतीजा यह हुआ कि पीली मटर और चना का आयात अप्रत्याशित रूप से बढ़ गया। हालांकि अब सरकार ने देसी चना और मसूर पर 10-10 प्रतिशत का मूल सीमा शुल्क लगा दिया है, जबकि पीली मटर के शून्य शुल्क वाली नीति की समय-सीमा 31 मई को समाप्त हो रही है। ऐसे में व्यापार जगत सरकार से पीली मटर पर भारी शुल्क लगाने की मांग कर रहा है और आगामी एक-दो दिनों में इस पर स्पष्ट नीति आने की संभावना है। दिसंबर 2023 से पहले पीली मटर पर 50% का ऊंचा शुल्क और कड़े आयात नियम लागू थे। लेकिन शुल्क हटने के बाद कनाडा, रूस, म्यांमार, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीकी देशों से बड़े पैमाने पर मसूर, तुवर, उड़द, चना और पीली मटर का आयात हुआ है। इसी बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून से अच्छी वर्षा की उम्मीद के चलते खरीफ सीजन में तुवर, उड़द और मूंग की बुवाई में तेजी आने की संभावना जताई जा रही है। सरकार द्वारा जल्द ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा भी संभावित है। यदि मानसून सामान्य रहा और फसल क्षेत्रफल व MSP में बढ़ोतरी हुई, तो घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय इजाफा हो सकता है। हालांकि सरकारी गोदामों में चना और उड़द का स्टॉक कम है, जिससे यह देखना अहम होगा कि सरकार पीली मटर के आयात को लेकर क्या फैसला लेती है। वैश्विक और घरेलू बाजार में दलहनों के दाम फिलहाल अपने शिखर से नीचे हैं, लेकिन आशंका है कि यदि पीली मटर का आयात रोका गया, तो चना सहित अन्य दलहनों के दाम फिर से बढ़ सकते हैं।