भारत-रूस कृषि व्यापार में उछाल, गेहूं ग्लूटेन का आयात नौ गुना बढ़ा

भारत और रूस के बीच कृषि व्यापार में उल्लेखनीय तेजी दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण गेहूं ग्लूटेन के आयात में आई बड़ी बढ़ोतरी है। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच रूस से भारत को गेहूं ग्लूटेन का निर्यात लगभग नौ गुना बढ़कर 1,500 टन से अधिक हो गया, जबकि व्यापारिक मूल्य सात गुना बढ़कर लगभग 17 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब ₹14 करोड़) तक पहुंच गया। यह दोनों देशों के बीच कृषि सहयोग के विस्तार का एक अहम संकेत है। वर्तमान में भारत, नॉर्वे, तुर्की और सऊदी अरब के बाद रूस से गेहूं ग्लूटेन आयात करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश बन गया है। बढ़ते आयात से स्पष्ट है कि भारत में प्रसंस्कृत खाद्य और बेकरी उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है और उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल की मांग निरंतर बढ़ रही है। गेहूं ग्लूटेन, जिसे वाइटल व्हीट ग्लूटेन भी कहा जाता है, बेकिंग उद्योग में एक प्रमुख घटक है। यह ब्रेड और बन जैसे उत्पादों में लचीलापन, बनावट और शेल्फ लाइफ बढ़ाने में मदद करता है। शहरी क्षेत्रों में बेकरी उत्पादों की खपत बढ़ने और आधुनिक बेकरी इकाइयों के विस्तार के साथ, ऐसे एडिटिव्स की मांग भी तेजी से बढ़ी है। कई भारतीय कंपनियां अब घरेलू स्तर पर गेहूं ग्लूटेन के उत्पादन की दिशा में काम कर रही हैं ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके और स्थानीय विनिर्माण क्षमता को सशक्त बनाया जा सके। रूस के लिए यह व्यापारिक विस्तार किसानों और प्रसंस्करण उद्योगों के लिए नए अवसर लेकर आया है, वहीं भारत के लिए यह खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार और तकनीकी उन्नति का साधन बन रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति आने वाले वर्षों में भी जारी रहेगी, जिससे भारत और रूस के बीच कृषि प्रसंस्करण व्यापार और मजबूत होगा। यह रुझान भारत की बदलती पहचान को भी दर्शाता है अब वह केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि तकनीकी रूप से उन्नत खाद्य उत्पादक देश के रूप में वैश्विक कृषि व्यापार में उभर रहा है।

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