सरसों बाजार रिपोर्ट
टाइट सप्लाई और मांग में संभावित वृद्धि के कारण सरसों की कीमतों में सुधार देखा गया। सप्ताह के आरंभ में नाफेड की भारी बिकवाली और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोरी के चलते सरसों में गिरावट दर्ज की गई। अब तक नाफेड ने लगभग 8.5 लाख टन सरसों बेची है (इस आंकड़े में हाफेड की बिक्री शामिल नहीं है)। सरसों का अधिकतर स्टॉक अब सरकारी एजेंसियों के पास है, जिससे बड़ी मंदी की संभावना नहीं है। सप्ताह की शुरुआत में गिरावट के बाद सरसों तेल को ₹1350 पर समर्थन मिला। जयपुर कच्ची घानी तेल ₹1400-₹1405/किलो तक बढ़ा। ठंड के मौसम में खपत बढ़ने से आगे कीमतों में और वृद्धि की उम्मीद है। कमजोर निर्यात मांग के कारण अक्टूबर में खल का निर्यात 5% गिरकर 1.60 लाख टन रह गया। डीडीजीएस और अन्य सस्ते विकल्पों की वजह से खल पर दबाव बना हुआ है। सरसों की बुवाई पिछले वर्ष से पीछे है। प्रतिकूल मौसम और दोबारा बुवाई की जरूरत के कारण इस साल उत्पादन प्रभावित होने का जोखिम है। अधिक तापमान के चलते फसल का विकास बाधित हो रहा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, राजस्थान में अब तक 29.01 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई पूरी हो चुकी है, जो पिछले वर्ष से 3.74% कम है। खुले बाजार में टाइट सप्लाई और सरकारी एजेंसियों की सीमित बिकवाली के चलते सरसों और सरसों तेल की कीमतों में मजबूती बनी रहने की संभावना है। जयपुर सरसों का ₹6525 का सपोर्ट स्तर मजबूत बना हुआ है। लंबे समय में सरसों तेल की कीमतें ₹1430-₹1450/किलो की रेंज तक पहुंच सकती हैं। सरसों और सरसों तेल बाजार में मांग और आपूर्ति का संतुलन मजबूत बना हुआ है। ठंड के मौसम, सरकारी नियंत्रण, और उत्पादन जोखिम के कारण बाजार में मजबूती का रुझान जारी रहने की संभावना है।