ग्वार रिपोर्ट

ग्वार के घटते उत्पादन को देखते हुए कुछ जानकार मान रहे हैं कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ग्वार गम की मांग में बढ़ोतरी होती है तो दिसंबर के बाद ग्वार के भाव 7,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकते हैं। फिलहाल ग्वार के भाव अपने न्यूनतम स्तर पर चल रहे हैं। ग्वार के भाव में लंबे समय से चल रही गिरावट का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी है। 2012 में ग्वार गम की जबरदस्त मांग थी, खासतौर पर अमेरिका के ऑयल ड्रिलिंग सेक्टर में, जिसके कारण कीमतों में भारी उछाल देखा गया था। लेकिन 2012 में ग्वार के रेट ज़बरदस्त तरीके से बढ़ने के और अमेरिका में ग्वार का उत्पादन ना होने के कारण अमेरिकी बाजार ने ग्वार गम का विकल्प खोजने का प्रयास शुरू कर दिया था। यही वज़ह है कि ग्वार गम की मांग में लगातार गिरावट आई है और कीमतें लगातार चल रही मंदी से उबर नहीं पायी हैं। इसके अतिरिक्त, महामारी के दौरान ग्वार गम के भारतीय निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी मांग कम होने से भारत में ग्वार के किसानों और व्यापारियों को नुकसान हुआ था। अच्छी बात यह है कि ग्वार और ग्वार गम के सस्ते होने के कारण हाल के छह महीनों में निर्यात में सकारात्मक रुख देखा गया है। यदि यह रुख जारी रहता है, तो आने वाले दिनों में ग्वार के भाव में सुधार की संभावना है। ग्वार गम का भविष्य अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग और ऑयल ड्रिलिंग सेक्टर में इसके उपयोग पर निर्भर करता है। महामारी के बाद निर्यात में बढ़ोतरी सकारात्मक संकेत देती है, लेकिन अभी भी इसमें स्थिरता की कमी है। किसान भाइयों को यह समझना होगा कि ग्वार के भाव पर अंतरराष्ट्रीय बाजारों का बड़ा प्रभाव पड़ता है। प्रमुख रूप से यदि अमेरिका ग्वार गम का आयात करता है, तो ही ग्वार की कीमतों में उछाल बन सकता है। बाजारी खबरों के आधार पर तेजी का अनुमान लगाना सही नहीं है। मौजूदा हालातों को देखते हुए निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीदें कम ही नजर आ रही हैं। फिलहाल सतर्क रहकर बाजार की स्थिति पर नजर रखना आवश्यक है। फ़िलहाल दिसंबर तक का इंतजार कर सकते हैं हो सकता है कि उसके बाद भाव में सुधार बने।

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