पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गेहूं की बुवाई में चुनौतियाँ
इस सीजन में भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गेहूं की बुवाई में कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ सामने आई हैं, जिससे उत्पादन में कमी और पैदावार में गिरावट की आशंका जताई जा रही है। ये तीनों राज्य देश की गेहूं आपूर्ति में अहम भूमिका निभाते हैं और केंद्रीय भंडार में बड़ा योगदान करते हैं, लेकिन बुवाई में हो रही देरी से उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है। बुवाई में देरी और उत्पादन में संभावित गिरावट के मुख्य कारण: धान की फसल की देर से कटाई: पंजाब और हरियाणा दोनों में धान की फसल की देर से कटाई के कारण गेहूं की बुवाई में देरी हो रही है। खरीफ फसलों की कटाई और रबी फसलों की बुवाई के बीच का संकुचित समय सीमा एक प्रमुख समस्या बनकर सामने आई है। इसके साथ ही, पंजाब में गेहूं की बुवाई का आदर्श समय 20 नवंबर तक समाप्त हो चुका था। उर्वरक की कमी: गेहूं की बुवाई के लिए आवश्यक डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक की कमी के कारण इन राज्यों में समय पर बुवाई में मुश्किल हो रही है, जिससे देरी और बढ़ी है। उच्च तापमान: बुवाई के समय अनियमित रूप से उच्च तापमान ने खासकर पंजाब में मिट्टी में नमी की मात्रा को कम कर दिया है, जिससे किसानों के लिए भूमि को उचित तरीके से तैयार करना और बुवाई करना मुश्किल हो रहा है। बुवाई क्षेत्र पर असर: पंजाब में इस वर्ष गेहूं की बुवाई क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में 18-20% की कमी होने की संभावना है। वहीं राजस्थान में, बुवाई में देरी के बावजूद गेहूं की बुवाई क्षेत्र में मामूली वृद्धि हो रही है, जो मुख्य रूप से मानसून बारिशों से मिली नमी और रात के समय में ठंडी तापमान के कारण है। बाजार पर प्रभाव: भारत में गेहूं का कुल उत्पादन घटने की संभावना है, और अनुमान है कि 2024-25 सीजन में घरेलू उत्पादन करीब 100 मिलियन टन तक गिर सकता है। इसका असर गेहूं की कीमतों पर पड़ेगा, और कीमतें सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से ऊपर रह सकती हैं, खासकर बुवाई और रबी फसल की तैयारी के दौरान। इस कारण किसानों की आय में सुधार हो सकता है, लेकिन घटती आपूर्ति के कारण सरकार और निजी स्रोतों से गेहूं का स्टॉक सीमित रह सकता है। सारांश: गेहूं की बुवाई में देरी, उच्च तापमान, उर्वरक की कमी और धान की फसल की देर से कटाई के कारण इन प्रमुख राज्यों में गेहूं की खेती के लिए कठिन परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गई हैं। हालांकि, राजस्थान जैसे कुछ क्षेत्रों में बुवाई क्षेत्र में हल्की वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन कुल गेहूं उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है, जिससे आपूर्ति पर असर पड़ेगा और कीमतें ऊंची बनी रहेंगी।