दलहन बाज़ार रिपोर्ट

देसी चना वास्तविकता यह है कि देसी चने की पाइपलाइन में ज्यादा माल नहीं है। केवल सटोरियों की सट्टेबाजी और ऑस्ट्रेलिया के माल की अफवाहों के कारण राजस्थानी चने की कीमत 6400 से घटकर 6300 रुपए हो गई है। हालांकि, इस महीने में इसके और गिरने की संभावना नहीं है। देसी चने का सकल उत्पादन लगभग 70 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जबकि घरेलू खपत 120 लाख टन के आसपास है। इस समय केवल विदेशी माल की घटित बिक्री के कारण मंदी बनी हुई है। इस स्थिति में अभी व्यापार करना लाभकारी रहेगा। काबुली चना काबुली चने के बाजार में स्टॉकिस्टों द्वारा चौतरफा बिकवाली की जा रही है, क्योंकि कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में काबुली चने की नई फसल शुरू हो चुकी है। यहां पर किसी भी भाव में लिवाली नहीं हो रही है। महाराष्ट्र का काबुली चना कच्चा माल 80-81 रुपए प्रति किलो के बीच बिक रहा है, जबकि कर्नाटका का माल 82-83 रुपए के आस-पास मिल रहा है, लेकिन इन भावों में कोई खरीदारी नहीं है। नई फसल अच्छी होने के साथ पुराना स्टॉक भी ज्यादा बचा हुआ है, जिससे बाजार में और गिरावट की संभावना बनी हुई है। तुवर तुवर के बाजार में स्टॉकिस्टों और सटोरियों द्वारा बिकवाली के कारण मंदी का दौर जारी है, जिससे व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। कर्नाटका और महाराष्ट्र की नई फसल भी आ रही है, जो सस्ते भाव में बिक रही है। कर्नाटका का माल 7800 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि नीचे वाले माल 7300-7400 रुपए तक बोला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप लेमन तुवर की कीमत 7150 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है। दालों में भी 4-5 रुपए प्रति किलो की गिरावट आई है। अब इसमें ज्यादा मंदी की संभावना नहीं है, लेकिन स्टॉक करने के लिए कुछ समय रुकना जरूरी है। मूंग राजस्थान की मंडियों में मूंग पर दबाव बना हुआ है, जिससे लोकल और चालानी मांग में कमी आई है और पिछले 10 दिनों में 300-400 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई है। इस समय दाल मिलों को भी मूंग के वर्तमान भाव में खरीदारी नहीं मिल रही है और दाल छिलका एवं धोया की बिक्री भी ठंडी पड़ गई है। इस स्थिति में कुछ दिनों तक और गिरावट देखने को मिल सकती है, लेकिन ग्राहकी बढ़ने पर बाजार में सुधार हो सकता है। राजस्थान की एवरेज क्वालिटी मूंग 7600-8100 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बिक रही है, इस समय इसमें व्यापार करना जोखिम भरा हो सकता है। उड़द उड़द का उत्पादन इस बार 36 लाख टन से बढ़कर 41 लाख टन होने का अनुमान है। रंगून की फसल भी बहुत अच्छी है और घरेलू बिजाई अधिक होने वाली है, जिसके कारण बाजार में मांग नहीं है। पिछले 10 दिनों में दाल छिलका और धोया की बिक्री ठंडी पड़ गई है, जिससे इसमें 400 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। अब यह मोटे माल 8150 रुपए और छोटे माल 7650 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बिक रहे हैं। सहारनपुर, गंगोह और चंदौसी लाइन में उड़द की आवक कम हो रही है और चेन्नई से भी सौदे घटकर मिल रहे हैं। इस प्रकार, फिलहाल उड़द के बाजार में तेजी की कोई संभावना नहीं है। प्रयागराज महाकुंभ के दौरान खपत के कारण कुछ दिनों के लिए बाजार ठहर सकता है, लेकिन घबराकर माल नहीं बेचने चाहिए। मसूर मसूर के बाजार में दाल मिलों की मांग ठंडी पड़ गई है, क्योंकि नई मसूर 10-15 दिन में आने वाली है। इसके प्रभाव से बिल्टी मसूर के भाव 6800 से घटकर 6750 रुपए रह गए हैं। निकट भविष्य में मलका और दाल का रैक भी नहीं आने वाला है, और अगले महीने नई फसल आ जाएगी। इस परिस्थिति में मसूर के बाजार में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है, हालांकि शॉर्ट सप्लाई के कारण 50 रुपए तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसके उत्पादन का क्षेत्र यूपी, एमपी, राजस्थान और बिहार सहित सभी राज्यों में बढ़ा है और पिछले दिनों की बारिश ने फसल को अच्छा लाभ पहुंचाया है। इस प्रकार, अब बढ़े हुए भावों में माल बेचना बेहतर रहेगा।

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