सरकारी चावल बिक्री से मकई में टेंपरेरी मंदी

सरकार द्वारा खुले बाजार में सस्ते दरों पर मोटे चावल की बिक्री शुरू किए जाने के कारण मकई में 140-150 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। हालांकि, व्यापारियों में घबराहट नहीं है, और इसे एक अस्थायी मंदी माना जा रहा है। बिहार से मक्की आने में अभी समय है, और कुछ दिन बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, लेकिन फिर इसके बाद तेजी आने की संभावना है। हालांकि, पहले जैसी तेज़ी की उम्मीद अब कम होती दिख रही है। पिछले कुछ समय में, राजस्थान और मध्य प्रदेश से खरीफ सीजन की मक्की की भारी आवक हुई थी, लेकिन एथेनॉल कंपनियों की बढ़ती मांग के कारण बाजार महंगा हो गया था। दिसंबर से जनवरी के पहले पखवाड़े तक एथेनॉल कंपनियों की खपत पूरी नहीं हो पाई थी, जिस कारण सरकार ने केंद्रीय पूल से मोटे चावल की बिक्री 2250 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में शुरू कर दी। इससे मक्की के भाव में 100-125 रुपए की गिरावट आई और हरियाणा-पंजाब में इसके भाव 2550-2600 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए। इस समय, हल्के माल के लिए 2500-2510 रुपए तक भी कोई मांग नहीं है। मध्य प्रदेश की मंडियों में जहां मक्की पहले 2400-2425 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही थी, वहां अब रैंक प्वाइंट्स पर 2250-2300 रुपए तक भाव गिर चुके हैं, और यहां भी कोई लिवल नहीं आ रहा। मक्की की नई फसल 4 महीने से पहले आने वाली नहीं है, और सरकार द्वारा बेचे जा रहे चावल फरवरी के मध्य तक खत्म हो जाएंगे। एथेनॉल कंपनियों में पहले ही मक्की की खपत काफी हो चुकी है, जबकि स्टार्च मिलें भी ऊंचे दामों के कारण कम खरीद पाई हैं। पोल्ट्री उद्योग में भी पर्याप्त माल नहीं है। इन परिस्थितियों में, मक्की की शॉर्टेज फरवरी में बिहार के माल आने से पहले बन सकती है। हालांकि जनवरी में जिस तेजी की उम्मीद थी, वह सरकारी चावल बिक्री के कारण थम गई, और बाजार टेंपरेरी 100-150 रुपए गिरकर निचले स्तर पर पहुंच गया है। फिर भी घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आने वाले समय में मक्की में 150-175 रुपए प्रति क्विंटल तक तेजी की संभावना बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मकई के दाम ऊंचे हैं, जिससे आयात की संभावना न के बराबर है। वहीं, बाजार ज्यादा गिरने पर निर्यात की संभावना भी बढ़ सकती है। वर्तमान में, नेपाल और बांग्लादेश के लिए मक्की बिहार की मंडियों से जा रही है, और मध्य प्रदेश से भी माल निर्यात हो रहा है, लेकिन रैंक लोडिंग फिलहाल बंद है। इसके प्रभाव से अगले 10 दिनों तक बाजार दबाव में रह सकता है, लेकिन फरवरी में फिर से तेजी की संभावना है।

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