बाजरे का व्यापार होगा भरपूर लाभकारी!

इस बार बाजरे की नई फसल सितंबर- अक्टूबर में आकर स्टॉक और खपत वाले उद्योगों में 80% तक पहुंच चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि इस साल उत्पादक मंडियों में पिछले साल की तुलना में 22% कम आवक हो रही है, क्योंकि व्यापारियों ने पिछले वर्ष की तेजी को देखा है और इसलिए इस बार मंडियों में माल कम ला रहे हैं। ऐसे में वर्तमान भाव में भविष्य में अच्छा लाभ मिलने की संभावना है। बाजरे का प्रमुख उत्पादन राजस्थान, यूपी, हरियाणा, पश्चिमी बिहार और मध्य प्रदेश में होता है। इस साल बाजरे की बिजाई अधिक हुई थी, लेकिन पुराने बाजरे का स्टॉक कम होने के कारण जो माल आया, वह 15-20 दिनों तक खलिहानों से ही बिकता रहा। दूसरी ओर डिस्टिलरी प्लांट भी बाजरे की लिवाली में आ गए हैं, जिससे मंडियों में स्टॉक की कमी हो गई है। इस साल बाजरे का उत्पादन अनुमानित 170-175 लाख मीट्रिक टन है, लेकिन खाद्यान्न की खपत इस उत्पादन का 19% अधिक हो गई है। वहीं, एथेनॉल कंपनियां भी बाजरा खरीदने लगी हैं, जिससे बाजरे की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। इटावा, औरैया, कासगंज, छर्रा, एटा, मैनपुरी क्षेत्र में बाजरे के भाव 2300/2305 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके हैं, और राजस्थान के क्षेत्रों में भी इसके भाव 2440/2470 रुपए प्रति क्विंटल तक हो गए हैं। अब मौली, बरवाला जैसे क्षेत्रों में बाजरे की मांग 2590/2600 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचने लगी है, और बढ़िया सूखे बाजरे की कीमत 2610 रुपए तक पहुंच रही है। इस समय बाजरा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं है और अगले 4 महीने तक कोई नई फसल आने की संभावना नहीं है। इन परिस्थितियों को देखते हुए, मौजूदा भाव में बाजरे का व्यापार आगे चलकर व्यापारियों के लिए शानदार लाभ का अवसर प्रदान कर सकता है।

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