मक्की बाज़ार में निकट भविष्य में तेजी की संभावना कम

मक्की की आवक में तेज़ बढ़ोतरी के चलते बिहार की मंडियों में बीते सप्ताह कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। मध्य बिहार की मंडियों में मक्की के भाव टूटकर 2100 - 2125 प्रति क्विंटल तक आ गए, जो कि सप्ताह के दौरान लगभग ₹50 की गिरावट को दर्शाता है। हालांकि इस गिरावट के बाद कुछ स्टॉकिस्ट सक्रिय हो गए हैं, लेकिन बीते वर्ष की कीमतों में हुए धोखे के कारण इस बार आक्रामक लिवाली नहीं देखी जा रही है। बड़ी कंपनियों ने ज़रूर खरीदारी शुरू कर दी है, लेकिन फिलहाल बाज़ार पर दबाव बना हुआ है और निकट भविष्य में इसमें कोई तेज़ी देखने की संभावना नहीं है। बिहार में इस साल मक्की का उत्पादन अच्छा रहा है और मध्य प्रदेश में भी पुरानी मक्की बड़ी मात्रा में उपलब्ध है, जिससे कुल आपूर्ति बढ़ी हुई है। परिणामस्वरूप हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में क्वालिटी के अनुसार मक्की के भाव 2400 - 2450 प्रति क्विंटल तक सिमट गए हैं। इसके अतिरिक्त, टूटे चावल (Broken Rice) की वर्षभर उपलब्धता अच्छी रहने की संभावना है और इसकी कीमतें भी सरकारी डैमेज चावल (₹22.50 प्रति किलोग्राम) की तुलना में सस्ती हैं। इस स्थिति में एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्की की बजाय टूटे चावल को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। जानकारों के अनुसार, टूटे चावल की सस्ती और स्थिर आपूर्ति के चलते एथेनॉल क्षेत्र में मक्की की मांग में भारी कमी देखी जा सकती है।

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