आपूर्ति में कमी और वैश्विक तेल बाज़ार में मज़बूती के बावजूद सोयाबीन बाज़ार में दबाव
पिछले एक महीने से जहाँ एक ओर सरसों किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सोयाबीन बाजार में अब तक सुधार के कोई ठोस संकेत नहीं दिख रहे हैं। किसानों और व्यापारियों के लिए राहत की उम्मीद अभी भी अधूरी नजर आ रही है। इस रिपोर्ट में हम जानने की कोशिश करेंगे कि सोयाबीन की कीमतों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन से हैं और बाजार में सुधार की संभावना कब बन सकती है। आवक और खपत की स्थिति जून माह तक सोयाबीन की आवक और क्रशिंग में लगभग 9% की गिरावट दर्ज की गई है, जो आपूर्ति में कमी का संकेत देती है। वहीं दूसरी ओर, सीधा उपयोग 7.5% तक बढ़ा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अंतिम उपभोक्ताओं की मांग स्थिर बनी हुई है। स्टॉक स्तर में भी भारी गिरावट आई है। पिछले साल जहां 36 लाख टन स्टॉक उपलब्ध था, इस साल वह घटकर महज 18 लाख टन रह गया है - यानी 50% की गिरावट। NAFED और NCCF जैसी सरकारी एजेंसियों के पास इस समय लगभग 12 लाख टन स्टॉक है। इस तरह कुल मिलाकर उपलब्ध स्टॉक पिछले साल की तुलना में करीब 16% कम है, जो बाजार के लिए एक संभावित सकारात्मक संकेत हो सकता है। सोया मील: कमजोर निर्यात मांग सोयाबीन का प्रमुख उप-उत्पाद सोया मील बाजार की धारणा को नीचे खींचे हुए है। अक्टूबर से जून के बीच सोया मील के निर्यात में 12% की गिरावट आई है - यह 17 लाख टन से घटकर 15 लाख टन रह गया है। घरेलू खपत में केवल 1.5% की मामूली वृद्धि हुई है, जबकि पशु चारे के रूप में उपयोग में 8% की गिरावट दर्ज की गई है। इससे प्रोसेसरों पर दबाव बना हुआ है। बुवाई क्षेत्र और भाव की स्थिति रिपोर्ट्स के अनुसार, सोयाबीन की बुवाई में थोड़ी गिरावट देखने को मिली है, लेकिन यह गिरावट इतनी कम है कि निकट भविष्य में बाजार को प्रभावित नहीं कर पाएगी। कीमतों की बात करें तो बाजार स्थिर बना हुआ है। कीर्ति प्लांट पर सोयाबीन का भाव ₹4,600 प्रति क्विंटल पर स्थिर रहा। वहीं मध्य प्रदेश के प्लांटों पर खरीदारी भाव ₹4,350 से ₹4,450 प्रति क्विंटल के बीच रहे। अंतरराष्ट्रीय संकेत: सोया तेल में मजबूती वैश्विक स्तर पर सोया तेल की कीमतों में मजबूती देखने को मिली है। कांडला पोर्ट पर बीते एक सप्ताह में ₹20 प्रति 10 किलो का उछाल दर्ज किया गया है और वर्तमान भाव ₹1,185 प्रति 10 किलो तक पहुंच चुका है। CBOT (शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड) पर सितंबर सोया ऑयल वायदा में 0.43 सेंट प्रति पाउंड की तेजी आई और यह 54.42 सेंट पर बंद हुआ। इस तेजी की मुख्य वजह अमेरिका में बायो डीज़ल ब्लेंडिंग को बढ़ाने का प्रस्ताव है। अनुमान है कि अमेरिका में उत्पादित लगभग 50% सोया ऑयल बायोफ्यूल के रूप में इस्तेमाल हो सकता है। इस अनुमान पर फंड्स भी एक्टिव हैं। हालांकि, सोयाबीन और सोया मील वायदा अभी भी कमजोर बने हुए हैं और दबाव में ट्रेड कर रहे हैं।