खरीफ की बुवाई लगभग पूरी, धान और मक्का में बढ़त, तेलहन और कपास में कमी
खरीफ मौसम की फसलों की बुवाई इस सीजन लगभग सामान्य स्तर पर पहुंच गई है। कुल बुवाई क्षेत्र 1,073.98 लाख हेक्टेयर (ल.ह.) तक पहुंच गया है, जो सामान्य 1,097 लाख हेक्टेयर का लगभग 98% है। पिछले साल की तुलना में यह 4% अधिक है, जो इस बात का संकेत है कि बुवाई की गति अच्छी बनी हुई है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में मौसम की चुनौतियां बनी हुई हैं। अनाज की बढ़त ने पकड़ी रफ्तार धान की बुवाई में 7.6% की वृद्धि हुई है, जो 420.41 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जबकि मक्का की बुवाई में 11.7% का जबरदस्त उछाल देखा गया है और यह 93.34 लाख हेक्टेयर हो गई है। वहीं, ज्वार, बाजरा और रागी जैसे अन्य मोटे अनाजों की बुवाई स्थिर बनी हुई है। दलहन में मिली-जुली स्थिति दलहन की फसलों में मिश्रित परिणाम मिले हैं। उड़द की बुवाई 6.9% बढ़ी है, मूंग में 1.3% की वृद्धि हुई है, जबकि अरहर की बुवाई में 1.8% की गिरावट आई है। तेलहन और कपास में गिरावट तेलहन की बुवाई क्षेत्र में 2.8% की कमी आई है, जो 182.38 लाख हेक्टेयर पर आ गया है। सोयाबीन की बुवाई 3.8% कम हुई है, --groundnut में 2.7% की गिरावट आई है, और सूरजमुखी की बुवाई में 9% की भारी कमी दर्ज की गई है। कपास की बुवाई भी 2.6% घटकर 108.47 लाख हेक्टेयर रह गई है, जिससे कपास के उत्पादन को लेकर चिंता बढ़ गई है। गन्ना और जूट की बुवाई पूरी गन्ना और जूट की बुवाई पूरी हो चुकी है। गन्ना का क्षेत्रफल 57.31 लाख हेक्टेयर है, जबकि जूट की बुवाई 5.54 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है। सरकार की निगरानी जारी हालांकि कुल बुवाई का आंकड़ा उत्साहजनक है, लेकिन तेलहन और कपास जैसी फसलों में गिरावट और बुवाई की गति में हाल ही में आई धीमी चाल को लेकर सरकार सतर्क है। फसलों के उत्पादन और भाव पर इन कारकों का प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए सरकार संभावित नुकसानों और कीमतों पर नजर रखे हुए है। मुख्य बिंदु: खरीफ बुवाई 1,073.98 लाख हेक्टेयर, सामान्य का 98%, 4% अधिक धान में 7.6% और मक्का में 11.7% की बढ़त तेलहन में 2.8% और कपास में 2.6% की कमी दलहन में मिली-जुली स्थिति, उड़द और मूंग बढ़े, अरहर घटा गन्ना और जूट की बुवाई पूरी खरीफ 2025 की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है, जिसमें अनाजों की बढ़त अच्छी संकेत दे रही है, लेकिन तेलहन और कपास में गिरावट चिंताजनक है। आगामी मौसम और सरकारी नीतियों के आधार पर उत्पादन और कीमतों की दिशा तय होगी।