पर्याप्त आपूर्ति और सीमित माँग के चलते गेहूं की कीमतें स्थिर, स्टॉक सीमा सख्ती का मामूली असर

देश के प्रमुख मंडियों में सोमवार को गेहूं की कीमतें सीमित दायरे में ही बनी रहीं, क्योंकि वर्तमान आपूर्ति बाजार की माँग को संतुलित करने के लिए पर्याप्त रही। खरीदार और विक्रेता दोनों ही फिलहाल सतर्क नजर आ रहे हैं, जिससे बाजार में सुस्ती का माहौल बना हुआ है। हाल ही में सरकार द्वारा गेहूं की स्टॉक सीमा को सख्त किए जाने के बावजूद, कीमतों में किसी बड़ी गिरावट के संकेत नहीं मिले हैं। अधिसूचना के बाद कुछ स्थानीय बाजारों में 10-20 रुपये प्रति क्विंटल की मामूली गिरावट ज़रूर देखी गई, लेकिन अधिकांश मंडियों पर इसका असर सीमित ही रहा। प्रमुख मंडियों में कीमतें इस प्रकार रहीं: दिल्ली: 2820 - 2830 प्रति क्विंटल मध्य प्रदेश: 2710-2720 प्रति क्विंटल राजस्थान: 2730-2750 प्रति क्विंटल असम: 3020 प्रति क्विंटल दक्षिण भारत: 3060-3080 प्रति क्विंटल उत्तर प्रदेश और बिहार: 2720-2730 प्रति क्विंटल 2800 रुपये बना मजबूत समर्थन स्तर: दिल्ली में गेहूं की कीमतें अब तक ₹2,800 प्रति क्विंटल के नीचे नहीं गिरी हैं। विक्रेता इस स्तर से नीचे बेचने से हिचकिचा रहे हैं, जिससे बाजार को मजबूत समर्थन मिला है। नई खरीददारी भी इसी स्तर के ऊपर ही उभरने की संभावना है। त्योहारी माँग से बाजार में नई हलचल की उम्मीद: व्यापारियों को उम्मीद है कि अगले एक-दो हफ्तों में त्योहारी सीज़न की माँग बढ़ेगी, जिससे बाजार में कुछ तेजी आ सकती है। कुछ राज्यों में पहले ही थोक खरीदारों ने सक्रियता दिखाई है, लेकिन विक्रेता मौजूदा भावों पर उत्साहित नहीं हैं। अधिकांश स्टॉकिस्ट, जिनके पास 2,000 टन से अधिक गेहूं था, पहले ही अपना अतिरिक्त स्टॉक निकाल चुके हैं। सरकार की स्टॉक सीमा नीति पर सवाल: पिछले सप्ताह सरकार ने गेहूं की थोक स्टॉक सीमा को 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन और खुदरा विक्रेताओं के लिए 10 टन से घटाकर 8 टन प्रति दुकान कर दिया। वहीं, प्रोसेसर अब अपनी मासिक क्षमता के 70% के बजाय 60% तक ही स्टॉक कर सकते हैं। ये नियम 31 मार्च तक लागू रहेंगे। सरकार का कहना है कि यह कदम कृत्रिम कमी को रोकने के लिए उठाया गया है, लेकिन व्यापारियों का मानना है कि यह नीति बाजार को "हैरान" करने के बजाय "निराश" कर रही है। व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को स्टॉक सीमा सख्त करने के बजाय ओपन मार्केट में बिक्री बढ़ानी चाहिए थी। कीमतों में मामूली उतार-चढ़ाव: उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में गेहूं का औसत थोक मूल्य ₹2,819.4 प्रति 100 किलोग्राम रहा, जो पिछले साल से 1.7% अधिक लेकिन महीने-दर-महीने 0.2% कम है। उत्तर प्रदेश के मिल मालिक संदीप बंसल ने कहा कि स्टॉक सीमा का असर अधिकतम एक सप्ताह तक ही रहता है, उसके बाद बाजार सामान्य हो जाता है। पंजाब में भी कीमतों में कोई खास गिरावट नहीं दिखी। मिल मालिक दीनम सूद के अनुसार, "बाजार में पहले से ही पर्याप्त स्टॉक है और कीमतें पहले से ही निचले स्तर पर हैं।" बंसल ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश में पिछले तीन हफ्तों में 1.0-1.2% की कीमतों में गिरावट देखी गई है, जिसका मुख्य कारण मैदा, आटा और चोकर की कम माँग है। मानसून के कारण गेहूं की खपत पर असर पड़ा है, खासकर चोकर, जो कि कुल गेहूं का लगभग 28% हिस्सा होता है, और जिसका उपयोग पशु चारे के रूप में होता है। हालात को देखते हुए, गेहूं की कीमतों में निकट भविष्य में बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है। सरकार की सख्त नीति का प्रभाव सीमित रहा है और अब बाजार की नजर त्योहारी माँग पर टिकी है। आपूर्ति सुचारु बनी रहने से उपभोक्ताओं को राहत जरूर मिल सकती है, लेकिन मिल मालिकों और व्यापारियों को फिलहाल कोई विशेष राहत नहीं दिख रही है।

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