मक्का बाजार पर दबाव बरकरार, कीमतें सीमित दायरे में !
देश के प्रमुख बाजारों में मक्का की कीमतें इस समय सीमित दायरे में कारोबार कर रही हैं। बंपर खरीफ फसल की उम्मीद और स्टॉकिस्टों की सक्रिय बिकवाली के चलते कीमतों पर दबाव बना हुआ है। खरीदार फिलहाल सतर्क हैं और नई आवक का इंतजार कर रहे हैं। दक्षिण भारत में कीमतों में गिरावट पिछले कुछ हफ्तों से दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में मक्के की कीमतों में तेज गिरावट देखी जा रही है। नमक्कल में जुलाई के अंत में भाव 2700/क्विंटल से गिरकर 1 सितंबर को 2500 हो गए। पापमपट्टी में भाव 2500 से घटकर 2450 रह गए। सांगली (महाराष्ट्र) में 12 अगस्त को 2575 - 2600 थे, जो अब 2400-2475 पर आ गए हैं। उत्तर और मध्य भारत में कीमतें स्थिर, लेकिन दबाव की आशंका उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत में कीमतें अभी तक स्थिर बनी हुई हैं, लेकिन जैसे ही मध्य भारत में नई फसल की आवक बढ़ेगी, इन क्षेत्रों में भी गिरावट की संभावना है। बिकवाली का दबाव और नई आवक की तैयारी तमिलनाडु के खरीदार अब बिहार से मक्का लेना कम कर चुके हैं और कर्नाटक व तेलंगाना की नई फसल का इंतजार कर रहे हैं। जिन स्टॉकिस्टों के पास पिछली खरीफ का स्टॉक था, वे भी बिकवाली कर रहे हैं, जिससे आपूर्ति सुचारू है। मध्य प्रदेश के स्टॉकिस्ट पिछले वर्ष हुए नुकसान के चलते इस बार मक्का स्टोर करने से बच रहे हैं। उत्पादन में इजाफा और संभावित कीमत गिरावट व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, इस साल खरीफ मक्का का उत्पादन 10-15% ज्यादा हो सकता है। यदि मध्य प्रदेश में हाजिर कीमतें 2000/क्विंटल तक गिरती हैं, तो बंगाल में रैक डिलीवरी ₹2,300 पर की जा सकती है, जिससे बिहार (गुलाबबाग) की मौजूदा कीमतों 2200-2370 में भी गिरावट आ सकती है। मौसम की भूमिका और बारिश का असर अगस्त में देश में सामान्य से 5% अधिक वर्षा दर्ज की गई, और IMD ने सितंबर में औसत से 109% अधिक बारिश की संभावना जताई है। दक्षिण भारत, खासकर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पंजाब और राजस्थान में भारी बारिश से फसल को नुकसान की आशंका है। सितंबर का मौसम मक्के की फसल और कीमतों की दिशा तय करेगा। स्थानीय मंडियों की स्थिति उत्तर प्रदेश के कासगंज, छर्रा, एटा और उझानी में मक्के की आवक प्रचुर मात्रा में है। बरसात के कारण गीली मक्का आ रही है जो स्टॉक के योग्य नहीं मानी जा रही। मंडियों में 1800-2120/क्विंटल के बीच लूज़ व्यापार हो रहा है। रैक पॉइंट पर 2160-2180/क्विंटल की दर से क्वालिटी के अनुसार खरीदी हो रही है। डिमांड की स्थिति इस समय प्रमुख मांग स्टार्च फैक्ट्रियों और इथेनॉल प्लांट्स से आ रही है। सरकार चावल उठाव पर ज्यादा ध्यान दे रही है, जिससे मक्का पर सीमित समर्थन मिल रहा है। पोल्ट्री सेक्टर में भी श्राद्ध काल के चलते उठाव कमजोर है। निष्कर्ष: मक्का बाजार पर दबाव जारी है और फिलहाल तेजी के संकेत कमजोर हैं। यदि डिमांड निकलती है, तो हल्की तेजी आ सकती है . ऐसे में किसानों को बेचने पर विचार करना चाहिए। नई आवक और मौसम की स्थिति अगले कुछ हफ्तों में मूल्य दिशा तय करेगी।