भारत का चावल निर्यात 26 वैश्विक बाजारों में करेगा विस्तार, लक्ष्य ₹1.8 लाख करोड़

भारत अपने चावल निर्यात रणनीति में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। देश अब 26 नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पहुंच बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। यह महत्वाकांक्षी योजना भारत की स्थिति को विश्व के अग्रणी चावल आपूर्तिकर्ता के रूप में और मजबूत करेगी। लक्षित देशों में फिलीपींस, इंडोनेशिया, ब्रिटेन, मैक्सिको, अमेरिका, चीन, जापान, फ्रांस, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं जिनमें से कई वर्तमान में पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों से चावल आयात करते हैं। पहली छमाही में तेज़ी से बढ़ा निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में भारत के चावल निर्यात में लगभग 10% की वृद्धि हुई, जिससे यह 5.63 अरब अमेरिकी डॉलर के मूल्य तक पहुंच गया। सिर्फ सितंबर माह में ही साल-दर-साल आधार पर 33% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो वैश्विक मांग में मजबूती, बेहतर निर्यात नीतियों और बढ़ी हुई उत्पादन क्षमता को दर्शाती है। भारत का मजबूत उत्पादन आधार भारत आज भी विश्व चावल बाजार में एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक के रूप में अग्रणी है, जो 172 से अधिक देशों को चावल की आपूर्ति करता है। वर्तमान वर्ष में देश में लगभग 150 लाख टन चावल का उत्पादन दर्ज किया गया है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 28% है। देश में 47 लाख हेक्टेयर भूमि पर चावल की खेती की जाती है। उच्च गुणवत्ता वाले बीजों, आधुनिक कृषि तकनीकों और विस्तारित सिंचाई सुविधाओं ने उत्पादन में निरंतर सुधार किया है। पिछले एक दशक में औसत उत्पादकता 2.7 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 3.2 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है, जो प्रगतिशील कृषि नीतियों और तकनीकी नवाचारों की सफलता को दर्शाती है। इंडिया इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस 2025 इसी संदर्भ में भारत इंडिया इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस 2025की मेजबानी करेगा, जो भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होगी। इस कार्यक्रम का आयोजन ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) और कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। यह दो दिवसीय वैश्विक सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय चावल व्यापार में पारदर्शिता, दक्षता और स्थिरता को बढ़ावा देगा, साथ ही भारत की कृषि शक्ति को प्रदर्शित करेगा। इस मंच पर किसान, निर्यातक, आयातक, नीति निर्माता, शोधकर्ता, वित्तीय संस्थान, लॉजिस्टिक कंपनियाँ और अन्य संबद्ध उद्योग एक साथ आएंगे। वैश्विक भागीदारी और प्रभाव वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, यह आयोजन लगभग ₹1.80 लाख करोड़ के नए निर्यात अवसरों की पहचान करने की उम्मीद है, जबकि लगभग ₹25,000 करोड़ मूल्य के निर्यात समझौते सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षरित होने की संभावना है। सम्मेलन में लगभग 3,000 किसान और किसान उत्पादक संगठन (FPOs), 80 से अधिक देशों से 1,000 विदेशी खरीदार, और लगभग 2,500 निर्यातक, मिलर और अन्य हितधारक भाग लेंगे। यह ऐतिहासिक आयोजन भारतीय किसानों और निर्यातकों के लिए वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में अपनी उपस्थिति मजबूत करने का एक बड़ा अवसर होगा, जिससे समावेशी विकास और नए व्यापार सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। पिछले वर्ष, भारत ने लगभग 20.1 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया था, जिसकी कीमत लगभग 12.95 अरब अमेरिकी डॉलर थी। मौजूदा विकास गति और विविधीकरण रणनीति के साथ, भारत न केवल पारंपरिक बाजारों में बल्कि विश्व के नए उभरते अर्थतंत्रों में भी अपनी नेतृत्वकारी स्थिति को और सुदृढ़ करने की दिशा में अग्रसर है।

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