अमेरिका द्वारा चावल पर आयात शुल्क बढ़ाने की धमकियों से भारतीय चावल निर्यातक निश्चिंत

अमेरिका द्वारा भारतीय चावल पर आयात शुल्क बढ़ाने के बावजूद निर्यातक इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि इसका उनके व्यापार पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा। हालांकि अमेरिका ने हाल ही में भारतीय चावल पर शुल्क बढ़ाने की धमकी दी है, व्यापारियों का कहना है कि अमेरिकी बाजार भारत के कुल चावल निर्यात का एक छोटा हिस्सा है। भारत का चावल व्यापार पहले से ही विविधीकृत हो चुका है और उसकी प्रीमियम बासमती चावल की वैश्विक मांग अभी भी मजबूत बनी हुई है। अमेरिकी बाजार का भारतीय चावल निर्यात में मामूली योगदान भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, जो वैश्विक चावल व्यापार का 40% से अधिक हिस्सा आपूर्ति करता है। हालांकि, अमेरिकी बाजार इस कुल निर्यात का केवल एक छोटा हिस्सा है। राइस एक्सपोर्टर फेडरेशन के अध्यक्ष प्रेम गर्ग के अनुसार, भारत के 60 लाख टन वार्षिक बासमती चावल निर्यात में से 3% से भी कम हिस्सा अमेरिका जाता है। कुल मिलाकर, अमेरिका को बासमती और गैर-बासमती दोनों प्रकार के चावलों का निर्यात भारत के कुल चावल निर्यात का 1% से भी कम है। हालांकि पिछले छह महीनों में अमेरिका ने चावल पर शुल्क 10% से बढ़ाकर 50% कर दिया है, फिर भी अमेरिकी बाजार में भारतीय चावल की मांग स्थिर बनी हुई है। बाजार में विविधता से प्रभाव को कम करना निर्यातक यह रेखांकित करते हैं कि भारत की अन्य वैश्विक बाजारों में मजबूत उपस्थिति उसे अमेरिका में बढ़े हुए शुल्क के संभावित प्रभाव से बचाती है। जीटीआरआई थिंक टैंक के अनुसार, हालांकि बढ़े हुए शुल्क से अमेरिका में भारतीय चावल की कीमत में वृद्धि हो सकती है, लेकिन भारत के समग्र चावल निर्यात पर इसका प्रभाव सीमित रहेगा क्योंकि भारत के पास खाड़ी देशों, अफ्रीका और एशिया जैसे क्षेत्रों में विविध ग्राहक आधार है। वास्तव में, भारत के चावल निर्यात में बढ़ोतरी देखी गई है, और वित्तीय वर्ष 2026 के पहले सात महीनों में भारतीय चावल निर्यात में 5.51% की वृद्धि हुई है, जो $6.51 बिलियन तक पहुंच गया है। पिछले साल, भारत ने चावल निर्यात मूल्य में रिकॉर्ड $12.47 बिलियन का आंकड़ा हासिल किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20% अधिक था। निष्कर्ष हालांकि अमेरिका द्वारा शुल्क वृद्धि और व्यापार नीतियों में बदलाव ने कुछ अनिश्चितताएं पैदा की हैं, भारतीय चावल निर्यातक इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वे इस मुश्किल दौर को पार कर लेंगे। वैश्विक बाजार में मजबूत विविधता और बासमती तथा गैर-बासमती चावल की उच्च मांग के साथ, भारत किसी भी व्यापारिक चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी स्थिति में है। भारत के चावल निर्यात का दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है, और एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका जैसे स्थापित बाजारों में निरंतर वृद्धि इस स्थिति को मजबूत कर रही है।

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