दलहन बाजार पर विशेष रिपोर्ट

चना चना की कीमतों पर दबाव बना हुआ है, स्टॉक लिमिट के कारण बड़े स्टॉकिस्टों की बिकवाली बनी रहने से कीमतें लगातार घट रही है। अभी चना की कीमतों पर दबाव बना रह सकता है, लेकिन आगे खपत का सीजन शुरू होगा। मिलों के पास चना का स्टॉक कम माना जा रहा है इसलिए आगे त्यौहारी सीजन के कारण मिलों की मांग भी बढ़ेगी। अरहर अरहर के दाम स्थिर हो गए हैं, हालांकि मिलें सीमित मात्रा में ही खरीद कर रही हैं। व्यापारियों के अनुसार स्टॉक लिमिट लगने के बाद से अरहर में बिकवाली बराबर बनी हुई है, जबकि आगे आयातित मालों की आवक बढ़ जायेगी। इसलिए अरहर के भाव में तेजी की उम्मीद तो नहीं है, भाव काफी नीचे आ चुके है, इसलिए बाद दाम रुकने चाहिए। वैसे भी आगे खपत का सीजन शुरू होने के बाद अगस्त में दालों की मांग में सुधार आयेगा। उड़द उड़द के भाव रुक गए हैं, लेकिन मांग सामान्य की तुलना में कम है। उड़द दाल में दक्षिण भारत की ग्राहकी कमजोर बनी हुई है, जबकि बर्मा से लगातार उड़द का आयात हो रहा है। आगे आयातित उड़द की आवक और बढ़ेगी। दालों में ग्राहकी कम होने के कारण दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही उड़द की खरीद कर रही है। इसलिए उड़द की कीमतों में बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। मूंग मूंग की कीमतों में 200 रुपये का मंदा आया है, मूंग दाल में ग्राहकी कमजोर है, जबकि उत्पादक मंडियों में समर मूंग की आवक बराबर बनी हुई है, इसलिए मूंग की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। मिलर्स के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर है, जबकि मध्य प्रदेश और पंजाब में समर मूंग का बंपर उत्पादन हुआ है। इसलिए मौजूदा कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। हालांकि चालू खरीफ में मूंग की बुआई पिछड़ रही है। मसूर मसूर के भाव में लगातार दूसरे दिन 50 रुपये का मंदा आया हैं। मसूर में मिलों की मांग कमजोर है। आयातक की बिकवाली आने के कारण कीमतों पर दबाव बना है, उधर मिलें केवल जरुरत के हिसाब से मसूर की खरीद कर रही है। इसलिए मसूर की कीमतों में अभी सीमित तेजी - मंदी ही बनी रहने का अनुमान है।

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