देश के कई हिस्सों में पिछड़ी बुवाई, चावल के निर्यात पर दिखेगा असर

भी देश में लगभग 900 लाख हेक्टेयर जमीन पर कपास की खेती हुई है जो पिछले साल इसी अवधि में 110 लाख हेक्टेयर थी. खरीफ सीजन में तिलहन की भी बुवाई होती है जिसमें सोयाबीन का रोल सबसे बड़ा है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है और खाने वाले तेल का सबसे बड़ा आयातक है. अगर बारिश कम होती है, मॉनसून के चलते बुवाई और धान की रोपाई पिछड़ती है, तो धान की पैदावार कम होगी. इससे चावल का उत्पादन कम होगा और भारत से होने वाले निर्यात पर गंभीर असर देखा जा सकता है. मामला यही तक नहीं है. अगर चावल की पैदावार कम होती है तो इससे खाद्यान्न तेलों के आयात में इजाफा होने की आशंका है. चावल का निर्यात और तेलों का आयात एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. चावल के निर्यात से होने वाली कमाई घटेगी और दूसरी ओर खाद्यान्न तेल जैसे कि पाम ऑयल, सनफ्लावर ऑयल और सोया ऑयल के आयात पर खर्च बढ़ेगा. ‘रॉयटर्स’ ने एक आंकड़े से हवाले से बताया है कि भारत के किसानों ने 16 जुलाई तक लगभग 610 लाख हेक्टेयर खेतों में गर्मी के सीजन की फसल यानी कि खरीफ फसलों की बुवाई की है. खेती-किसानी का यह रकबा पिछले साल की तुलना में 11.6 फीसद तक कम है. यह आंकड़ा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से दिया गया है. भारत में अभी तक का प्रचलन है कि खरीफ फसलों की बुवाई 1 जून से शुरू हो जाती है जब मॉनसून की आवक पूरे देश में शुरू होती है. जैसे-जैसे मॉनसून देश के अलग-अलग इलाकों में फैलता है, वैसे-वैसे बुवाई का काम तेजी पकड़ता है. यह काम पूरे देश में लगभग अगस्त-सितंबर तक चलता है. वैसे भारत में खरीफ का सीजन जून से शुरू होकर अक्टूबर तक चलता रहता है. कपास की बुवाई भी पिछड़ी मॉनसून के पिछड़ने से केवल धान की रोपाई पर ही असर नहीं देखा जा रहा. बारिश कम होने से कपास की खेती भी बड़े स्तर पर प्रभावित हुई है. अभी देश में लगभग 900 लाख हेक्टेयर जमीन पर कपास की खेती हुई है जो पिछले साल इसी अवधि में 110 लाख हेक्टेयर थी. खरीफ सीजन में तिलहन की भी बुवाई होती है जिसमें सोयाबीन का रोल सबसे बड़ा है. खरीफ में सोयाबीन ही सबसे अहम फसल है जिसकी अभी तक 93 लाख हेक्टेयर जमीन पर बुवाई हुई है. पिछले साल इसी अवधि में 106 लाख हेक्टेयर भूमि पर सोयाबीन की खेती हुई थी. पूरे तिलहन की बात करें तो अभी तक इसकी बुवाई 120 लाख हेक्टेयर के आसपास है जो कि पिछले साल 140 लाख हेक्टेयर जमीन पर की गई थी. क्या है गन्ने का हाल भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. इसकी खेती में अभी तक कोई कमी नहीं देखी जा रही है और यह 50 लाख हेक्येटर जमीन पर की गई है. हालांकि दलहन में थोड़ी कमी आई है क्योंकि पिछले साल 80 लाख हेक्टेयर जमीन पर दलहनों की खेती हुई थी जो अभी 70 लाख हेक्टेयर के आसपास है. 1 जून से अभी तक 7 फीसद कम बारिश दर्ज की गई है जिसका असर खेती पर देखा जा रहा है. मॉनसून की बारिश का वितरण देश में एकसमान नहीं होने के चलते खेती-बाड़ी में दिक्कत देखी जा रही है.

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