रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा सोयाबीन का दाम, आवक कम और मांग बढ़ने से कीमतों में आ रही तेजी
विदेशी बाजारों में मंदी के रुख के बावजूद देश में त्योहारी मांग के कारण स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सोयाबीन तिलहन का भाव रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचा. मंडियों में कम आवक और स्थानीय मांग को देखते हुए सरसों तेल-तिलहन, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार आया जबकि सामान्य कारोबार के बीच बाकी अन्य तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए. बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज बिना घट-बढ़ के बंद हुआ जबकि शिकागो एक्सचेंज में एक प्रतिशत की गिरावट थी. उन्होंने कहा कि मंडियों में मांग तेज होने के बीच सरसों और सोयाबीन तिलहन की बहुत कम आवक है, जिसकी वजह से सोयाबीन का भाव रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचा है. 8700 रुपए क्विंटल पहुंचा भाव महाराष्ट्र के लातूर किर्ती में सोयाबीन बीज का ‘प्लांट डिलिवरी’ भाव 8,450 रुपए क्विन्टल से बढ़ाकर 8,650 रुपए क्विन्टल कर दिया गया है. इसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अलग से लगना है. महाराष्ट्र के नांदेड में प्लांट वालों ने 8,700 रुपए क्विन्टल के भाव सोयाबीन खरीदा है. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड भाव है. उन्होंने कहा कि सरकार को खाद्य तेलों के आयात शुल्क को कम ज्यादा करने के बजाय तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना चाहिए, जिससे इसके आयात के लिए विदेशी बाजारों पर निर्भरता को कम किया जा सके. उनकी राय में पामोलीन के आयात पर अंकुश लगना चाहिए नहीं तो घरेलू रिफायनिंग कंपनियों का चलना कठिन हो जाएगा. सरसों की आवक में भी कमी का सिलसिला जारी सूत्रों ने कहा कि सहकारी संस्था हाफेड को अभी भी बाजार भाव से सरसों की खरीद कर उसका स्टॉक बनाना चाहिए ताकि सरसों की अगली फसल के लिए बीज की कमी न हो. अगर बीजों का समुचित इंतजाम रहा तो सरसों की पैदावार दोगुनी हो सकती है. सूत्रों ने कहा कि पूरे देश की मंडियों में सरसों की आवक दो लाख बोरी से घटकर 1.40 लाख से 1.50 लाख बोरी रह गई है. सरसों की कमी की वजह से 30-40 प्रतिशत पेराई मिलें बंद हो गई हैं.