तूर में रुक - रुक के तेज़ी की संभावना, पढ़ें विशेष रिपोर्ट
तुवर में रुक-रुक कर तेजी की उम्मीद तुवर का आयात पड़ता महंगा होने तथा घरेलू उत्पादन कम होने से माल की कमी बनी हुई है। फसल आने में अभी 6 महीने का समय बाकी है, इन परिस्थितियों को देखते हुए कुछ दिन इंतजार के बाद तुवर में 200/300 रुपए की और तेजी आ सकती है। पिछले दिनों सरकार द्वारा दलहनों पर स्टॉक सीमा लगा दिए जाने से ओने-पौने भाव में तुवर का स्टॉक पिछले एक सप्ताह तक कट चुके थे तथा नये सौदे आयातक करने से पीछे हट गए थे। दूसरी ओर पहले की आई हुई तुवर के वेसल्स चेन्नई, मुंबई बंदरगाह पर काफी बिक चुके हैं जिससे चेन्नई में 6250 एवं मुंबई में 6275 रुपए प्रति क्विंटल से कम भाव में आयातक बिकवाल नहीं आ रहे हैं। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित अन्य घरेलू मंडियों में देसी तुवर 80 प्रतिशत बिक चुकी है। यहां उन मालों के पढ़ते 6650/6700 रुपए के लग रहे हैं। ग्राहकी कमजोर होने से व्यापार कम जरूर हो रहा है लेकिन ट्रेडर्स एवं स्टॉकिस्ट दोनों ही खाली होने से आगे बाजार में तेजी लग रही है। इन परिस्थितियों में अब यहां से मंदे की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है तथा धीरे-धीरे रुक रुक कर तेजी की संभावना है। नयी फसल आने में 5/6 महीने का समय लंबा बाकी है तथा उत्पादन भी आगे की बिजाई पर निर्भर करेगा और मौसम कैसा है, उस पर निर्भर करेगा। सरकारी पोर्टल पर स्टॉक लिमिट का ब्यौरा दिए जाने से कारोबारी पूरी तरह तकलीफ में आ चुके हैं। हम मानते हैं की दाल की बिक्री अनुकूल नहीं है तथा बाजारों में रुपए की तंगी होने के साथ-साथ सरकारी पोर्टल पर स्टाक बयौरा दिए जाने की सरकार के निर्देश से अधिकतर कारोबारी परेशान हो चुके हैं, लेकिन सरकार द्वारा पिछले दिनों स्टॉक सीमा 200 मेट्रिक टन से बढ़ाकर 500 मेट्रिक टन कर दिए जाने से व्यापारियों को राहत मिली है तथा व्यापार सुधारने लगा है इसे देखते हुए अब मंदा नहीं लग रहा है। तुवर में वर्तमान भाव पर आगे लाभ मिलने की संभावना प्रबल हो गई है। तुवर का उत्पादन 35 लाख मैट्रिक टन के करीब रह गया है, जबकि घरेलू खपत 55 लाख मैट्रिक टन की है।