15 साल में बिहार से कृषि निर्यात में हुई 800 गुना की वृद्धि, किसानों को हुआ सीधा फायदा

कृषि क्षेत्र में बिहार तेजी से आगे बढ़ रहा है. राज्य के किसानों की मेहतन अब रंग लाने लगी है. यहीं वजह है कि बीते 15 सालों में राज्य से कृषि निर्यात आय में 800 गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. बिहार के किसानों को सरकार से भी मदद मिल रही है और पहले के मुकाबले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकारी खरीद भी ज्यादा हो रही है. बिहार कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया प्रदेश ने कृषि निर्यात में तेजी से वृद्धि देखी है और पिछले डेढ़ दशक में कृषि निर्यात की आय में 800 गुना से अधिक की बढ़तोरी हुई है. सरकार की कोशिश कृषि निर्यात बढ़ाने के साथ ही किसानों की आय में वृद्धि करना भी है ताकि वे समृद्ध जीवन जी सकें. 2006 में मात्र 3 करोड़ का होता था कृषि निर्यात एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए राज्य के कृषि सचिव एन सरवन कुमार ने कहा कि साल 2006 में, राज्य के कृषि निर्यात का मूल्य तीन करोड़ रुपए था. साल 2020 तक, यह बढ़कर 2,617 करोड़ रुपए हो गया. संयोग से, एन सरवन कुमार, जो अपने लगातार चौथे कार्यकाल में हैं, उन्होंने साल 2005 के अंत में कृषि सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी. कृषि क्षेत्र में राज्य की स्थिति पर संतोष व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया कि कृषि विकास से ‘न केवल उपज में वृद्धि होनी चाहिए बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होनी चाहिए.’ यह देखते हुए कि राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि वर्ग की ओर से संचालित है, नीतीश कुमार ने कहा कि इस पहलू को ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार अब तक तीन, पांच वर्षीय ‘कृषि रोड मैप’ लेकर आई है. राज्य में बढ़ रही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की लोकप्रियता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की लोकप्रियता बढ़ने और नए कृषि संस्थानों और कॉलेजों की स्थापना पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि कृषि संस्थान युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र को विशेषज्ञता के क्षेत्र के रूप में लेने के लिए प्रेरित करते हैं. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि हमने मोतिहारी में जाकर आलू अनुबंध कृषि मॉडल का मुआयना किया था, जो काफी अच्छा था. साथ ही इस कार्य से जुड़े किसानों की जानकारी से मैं काफी प्रभावित हुआ था.

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