गेहूं के बाद ये जरूरी चीजें भी एक्सपोर्ट करना आसान नहीं

इससे पहले विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जुलाई में बताया गया था कि गेहूं के आटे, मैदे और सूजी के निर्यात के लिए ट्रेडर्स को इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी (Inter-Ministrial Committee On Wheat) से मंजूरी लेनी पड़ेगी. डाइरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने एक नोटिफिकेशन द्वारा इसकी जानकारी दी गई थी. भारत सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर पाबंदियां (India Wheat Export Ban) के बाद अब आटा, मैदा और सूजी के निर्यात को भी सख्त बनाने का निर्णय लिया गया है. इससे पहले सरकार ने मई में गेहूं के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का ऐलान किया गया था. अब गेहूं के आटा, मैदा, सूजी आदि के निर्यातकों को एक्सपोर्ट इंसपेक्शन काउंसिल से क्वालिटी सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा. सरकार ने एक ताजा नोटिफिकेशन द्वारा जानकारी मिली है. इसके बिना नहीं होगा एक्सपोर्ट इससे पहले विदेश व्यापार महानिदेशालय ने जुलाई में बताया था कि गेहूं के आटे, मैदे और सूजी के निर्यात के लिए ट्रेडर्स को इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी (Inter-Ministrial Committee On Wheat) से मंजूरी लेनी पड़ेगी. डाइरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने एक नोटिफिकेशन द्वारा बताया था. नोटिफिकेशन में बताया गया था, गेहूं के आटे के लिए निर्यात की नीति फ्री ही बनी रहेगी, लेकिन इसका निर्यात करने के लिए गेहूं के निर्यात को लेकर बनी इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से मंजूरी लेनी पड़ेगी. डीजीएफटी के ताजा नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अब इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से आटे के साथ साथ मैदा, समोलिना (रवा/सिरगी), होलमील आटा और रिजल्टेंट आटा के एक्सपोर्ट के लिए भी मंजूरी की जरूरत होगी. कमिटी की मंजूरी मिलने के बाद ही अब इन उत्पादों का भारत से एक्सपोर्ट किया जा सकेगा. नोटिफिकेशन के मुताबिक, कमिटी की मंजूरी के बाद गेहूं के आटे सहित इन उत्पादों की क्वालिटी (Wheat Flour Quality) के लिए दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में स्थित एक्सपोर्ट इंसपेक्शन काउंसिल से क्वालिटी सर्टिफिकेट की जरूरत होगी. सरकार ने क्यों लिया फैसला सरकार के इस कदम को भारतीय बाजार में आटे की कीमतें नियंत्रित रखने के लिए प्रयास किया जा रहा है. दरअसल मई महीने में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद आटे और गेहूं के अन्य उत्पादों के निर्यात में तेजी देखने को मिल रही थी. इससे घरेलू बाजार में आटे सहित गेहूं की उपलब्धता पर असर पड़ रहा था और कीमतें बढ़ने का खतरा बढ़ रहा था. कुछ कंपनियों ने तो आटे के रेट बढ़ा भी दिए थे. इस कारण गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का सरकार का ऐलान कारगर साबित नहीं हो पाया था. अब नई पाबंदियों से इस मामले में सुधार की उम्मीद बढ़ सकती है.

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