स्टॉकिस्टों की लिवाली से देसी चने में 300-400 की और तेजी संभव

देसी चने की नई फसल आ चुकी है, राजस्थान में आनी बाकी है। उससे पहले फसल में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कम को देखकर चौतरफा स्टॉकिस्ट लिवाल आ गए, इसे देखते हुए इसी लाइन पर 300-400 रुपए प्रति क्विंटल की और तेजी के आसार बन गए है। देसी चने का उत्पादन इस बार मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक सहित सभी उत्पादक राज्यों में कम होने की धारणा बन गई है। इसका मुख्य कारण यह है कि पूरे वर्ष देसी चने में मंदा चलने से किसानों का रुझान इसकी बजाय काबुली चना एवं मसूर की खेती में ज्यादा हो गया था। यही कारण है कि बिजाई रकबा घट गया है। दूसरी ओर प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भी कम बता रहे हैं। महाराष्ट्र में बिजाई कम होने के साथ-साथ 4-5 प्रतिशत उत्पादकता कम रही है, मध्यप्रदेश के इंदौर- भोपाल - सागर लाइन में भी यील्ड कम बता रहे हैं, ग्वालियर में यील्ड ठीक-ठाक है, लेकिन वहां बिजाई कम होने से आवक कम हो रही है। सतना- जबलपुर लाइन में भी आवक घट गई है, राजस्थान में बिजाई कम है लेकिन जो फसल खेतों में दिखाई दे रही है, उसमें दाने बढ़िया बताए जा रहे हैं तथा मौसम भी खराब नहीं रहा है जिससे बोई हुई देसी चने की फसल बढ़िया है, लेकिन वहां भी बिजाई रकबा 28-30 प्रतिशत घटा है। वहां पर सरसों की खेती ज्यादा हुई है तथा मसूर की खेती ज्यादा किसानों ने किया है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए 110 लाख मैट्रिक टन से घटकर 70 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान आ रहा है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 5350 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है तथा अप्रैल के महीने में सरकार किसानों से देसी चना खरीदेगी, ऐसा अनुमान है। इस वजह से उत्पादक मंडियों में भी किसान भी कम ला कमा रहे हैं तथा नए माल को पकड़ने लगे हैं, जिससे 4700/4750 रुपए प्रति क्विंटल का इंदौर लाइन में 5000/5075 रुपए लूज में बोलने लगे हैं। यहां भी राजस्थानी चना, जो शनिवार को 5175 रुपए बिका था, उसके भाव 5300 हो गए हैं तथा कुछ कारोबारी 5325 रुपए भी बोल रहे हैं। सरकार द्वारा देसी चने की बिक्री बंद कर दी गई है, क्योंकि किसानों का चना आने पर सरकार उनको नुकसान से बचाने के लिए नहीं बेचेगी, बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य 5350 रुपए में खरीदेगी, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए राजस्थानी चना 5600 रुपए प्रति क्विंटल चालू सप्ताह में बन जाएगा।

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