दलहन बाजार रिपोर्ट

देसी चना-फिर बढ़ने की उम्मीद देसी चने का उत्पादन कम जरूर हुआ है, लेकिन पिछले दिनों की आई तेजी के बाद पुराने चने की बिकवाली स्टॉकिस्ट करने लगे हैं, जिसके चलते पुनः 100 रुपए घटकर 6225/6250 रुपए प्रति कुंतल लारेंस रोड पर खड़ी मोटर में भाव रह गए हैं। मटर के भाव काफी नीचे आ गए हैं, जिस कारण बेसन वालों की मांग चने में घट गई है, इसे देखते हुए 100 रुपए प्रति क्विंटल की और गिरावट आ सकती है, लेकिन उसके बाद माल फिर पकड़ना चाहिए। अगले सप्ताह संभवतः बाजार दोबारा बढ़ने लगेगा। काबुली चना-तेजी की गुंजाइश नहीं यद्यपि बिजाई के नई समय में भी इस बार आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक के उत्पादक क्षेत्रों में बरसात कम होने से खेतों में नमी की कमी बनी हुई थी, लेकिन किसानों द्वारा ऊंचे भाव देखकर बिजाई अधिक की गई है। उत्पादक मंडियों में जोरों से नया माल आने लगा है, जिस कारण बाजार टूटने लगा है। काबुली चने का उत्पादन 28 लाख मीट्रिक टन के करीब आने का अनुमान है। अंतर्राष्टीय बाजारों में भी काबुली चने के भाव घट गए हैं, जिससे निर्यात पूरी तरह ठप पड़ गया है, बल्कि कुछ देशों से आयात होने लगा है। यही कारण है कि पिछले सप्ताह 5- 6 रूपए घटकर महाराष्ट्र का काबुली चना 94/96 रुपए प्रति किलो रह गया तथा आगे और घटने के आसार दिखाई दे रहे हैं। मटर - नए माल की आवक शुरू हम मानते हैं कि मटर सबसे सस्ती होने से इसकी बिक्री बढ़ रही है तथा दाल की भी बिक्री निकलने लगी है, इन सब के बावजूद भी ललितपुर झांसी लाइन में नई फसल आने से तेजी का व्यापार बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अगले 15-20 दिनों में कनाडा के माल भी तेजी से उतरने लगेंगे। अभी आयात अवधि भी बढ़ाकर 30 अप्रैल तक कर दी गई है, जिससे पुराने मालों के भाव 50/52 रुपए पर ठहर गए हैं। इन परिस्थितियों में मटर अभी ठहर कर मंदी होगी। मसूर- अब तेजी का समय नहीं चालू सप्ताह कनाडा के मसूर पड़ते में उतरने से आयातक घटाकर बिकवाली में आ गए, जिससे बिल्टी में भी मसूर 50 घटकर 6250 रुपए प्रति कुंतल रह गई। अब इन भावों में भी दाल मिलों की मांग कमजोर रहने से कनाडा के 50 रुपए घटकर 6020/ 6030 रुपए प्रति कुंतल बिल्टी में रह गए हैं। यद्यपि दाल व मलका की बिक्री अनुकूल नहीं है, लेकिन मंगावली गंज बासौदा सागर बीनागंज एवं भोपाल लाइन में देसी मसूर समाप्त हो गई है तथा कनाडा में भी मसूर की बिगवाली से 30-32 डॉलर प्रति टन भाव घटाकर बोलने लगे हैं। अब कनाडा की मसूर भी नीचे पड़ते में बेचू आने लगे हैं। अतः अभी बाजार मंदा लग रहा है। उड़द - अभी घटने की गुंजाइश नहीं रंगून में भी खेतों में खड़ी फसल की फली कम लगने से प्रति हेक्टेयर कश भी कम बैठने का अनुमान आने लगा है। यही कारण है कि रंगूनी उड़द लगातार भाव बढ़कर बोलने लगे हैं। वर्तमान में चेन्नई बंदरगाह से उड़द यहां आ रही है, उसके पड़ते काफी ऊंचे लग रहे हैं। यही कारण है कि एसक्यू 99 रुपए प्रति किलो बिक रही है। उड़द एफ ए क्यू के भाव भी 89 रुपए बोल रहे हैं। देसी माल की आवक पूरी तरह समाप्त हो गई है तथा निकट में कोई उड़द की फसल आने वाली नहीं है, इसे देखते हुए अभी इसमें 2 रुपए प्रति किलो की फिर तेजी लग रही है। मूंग-लंबी तेजी की गुंजाइश नहीं चालू सप्ताह के प्रारंभ में मूंग की आवक घटने के बाद दलहनों के समर्थन में मूंग में भी कुछ मांग निकलने लगी है, जिससे 100/150 रुपए बढ़कर राजस्थान की बढ़िया मूंग 9100/9150 रुपए प्रति कुंतल ऊपर में बिक गई। गौरतलब है की दाल धोया एवं छिलका की बिक्री अनुकूल नहीं है, लेकिन आने वाले दिनों में इसकी बिक्री और जाएगी। इधर कानपुर लाइन में भी स्टाक के माल निकल चुके हैं। अतः बाजार बढ़े हुए पर अपना माल निकालना चाहिए। तुवर - फिर तेजी की उम्मीद तुवर की आवक महाराष्ट्र की मंडियों से पड़ते के अभाव में कम हो गई है, जिससे गत सप्ताह चार रुपए किलो घटने के बाद बाजार बढ़ गए हैं। जो पिछले महीने महाराष्ट्र की तुवर नीचे में 92 रुपए बनने के बाद 97/98 रुपए बोलने लगे हैं। इसके प्रभाव से लेमन तुवर भी 94 से बढ़कर 105 रुपए पर आकर ठहर गई है तथा अब वर्तमान भाव में कुछ दिन ज्यादा घटने की गुंजाइश नहीं है। आगे चलकर इसमें चार-पांच रुपए किलो की और तेजी आ सकती है।

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