बारीक चावल - और घटने की गुंजाइश नहीं
हम मानते हैं कि घरेलू एवं निर्यात aदोनों ही मांग बासमती प्रजाति के सभी चावल में अनुकूल नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे राइस मिलों का स्टॉक मंदे भाव में निकलता जा रहा है तथा मंडियों में धान की आपूर्ति टूट गई है। जो स्टॉक में पड़ा है, उन मालों को और घटाकर कारोबारी बिकवाल नहीं हैं। आज की तारीख में चीका सफीदों करनाल तरावड़ी कैथल असंद लाइन में मिलिंग करने पर घर से 260/270 रुपए प्रति कुंटल का नुकसान लग रहा है तथा मिलों में जो धान सीजन के ऊंचे भाव के स्टाक किए हुए हैं, उसमें ब्याज भाड़ा लगाकर बहुत घाटा है। दूसरी ओर अब पाकिस्तान से भी ज्यादा सस्ता निर्यात नहीं हो रहा है, इन परिस्थितियों में जो चावल सेला 1509 क्वालिटी का 6550/6650 रुपए बोल रहे हैं, इसमें घटने की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है। इसी तरह अन्य बासमती प्रजाति में भी मंदा समाप्त समझना चाहिए।