वर्तमान सीजन में सरसों के 125 लाख टन के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान

स्वदेशी वनस्पति तेल उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के शीर्ष संगठन- सेन्ट्रल ऑर्गेनाइजेशन फ़ॉर ऑयल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड (कोएट) के तत्वावधान में आयोजित 44 वें अखिल भारतीय रबी तिलहन-तेल सेमिनार में 2023-24 के वर्तमान सीजन में 125 लाख टन सरसों के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया गया है जो केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान 127 लाख टन से महज 4 लाख टन कम है। उद्योग-व्यापार संगठनों के अनुसार चालू रबी सीजन के दौरान सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में 53 लाख टन सरसों के उत्पादन की उम्मीद है जबकि उत्तर प्रदेश में 18 लाख टन, मध्य प्रदेश में 16 लाख टन, हरियाणा-पंजाब में 12 लाख टन, गुजरात में 5 लाख टन,पश्चिम बंगाल में 6 लाख टन तथा बिहार-आसाम सहित अन्य प्रांतों में 13 लाख टन सहित राष्ट्रीय स्तर पर कुल 123 लाख टन सरसों का उत्पादन होने का अनुमान है। इसके अलावा 12 लाख टन सरसों का पिछला बकाया स्टॉक मौजूद था जिससे इसकी कुल उपलब्धता 135 लाख टन पर पहुंचेगी। इसमें से 7 लाख टन की क्रशिंग जिससे इसकी कुल उपलब्धता 135 लाख टन पर पहुंचेगी। इसमें से 7 लाख टन की क्रशिंग- प्रोसेसिंग फरवरी 2024 में हो गई और 1 मार्च की तिथि से देश में 128 लाख टन सरसों का स्टॉक उपलब्ध रहेगा। सेमिनार में किए गए आंकलन के अनुसार 2023-24 के रबी सीजन के दौरान सरसों का उत्पादन क्षेत्र राजस्थान में 36.29 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 13.11 लाख हेक्टेयर, मध्य प्रदेश में 14.03 लाख हेक्टेयर, हरियाणा-पंजाब में 7.65 लाख हेक्टेयर, पश्चिम बंगाल में 6.32 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 2.77 लाख हेक्टेयर या देश के अन्य राज्यों में 13.86 लाख हेक्टेयर सहित कुल 94.05 लाख हेक्टेयर रहा। इसके अलावा राजस्थान में तोरिया का रकबा 1.37 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया। इससे पूर्व खरीफ सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश में 4.49 लाख हेक्टेयर में तोरिया की खेती हुई थी जबकि पश्चिम बंगाल में इसका क्षेत्रफल 54 हजार हेक्टेयर के करीब रहा था। इस तरह सरसों-तोरिया का कुल उत्पादन क्षेत्र 100.43 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा। सेमिनार में राष्ट्रीय स्तर पर सरसों की उत्पादकता दर 1225 किलो प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान लगाया गया। इसके तहत उत्तर प्रदेश में उपज दर 1370 किलो प्रति हेक्टेयर, राजस्थान में 1460 किलो, हरियाणा-पंजाब में 1570 किलो, गुजरात में 1800 किलो, मध्य प्रदेश में 1140 किलो, पश्चिम बंगाल में 950 किलो तथा देश के अन्य राज्यों में 940 किलो प्रति हेक्टेयर रहने की संभावना व्यक्त की गई है। हालांकि सेमिनार से पूर्व अलग-अलग विशेलषकों ने सरसों का घरेलू उत्पादन 115-120 लाख टन के बीच होने का अनुमान लगाया था और मध्य प्रदेश, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कुछ भागों में प्राकृतिक आपदाओं से फसल को थोड़ी-बहुत क्षति भी हुई थी लेकिन फिर भी सेमिनार में 125 लाख टन के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया गया।

Insert title here