दलहन बाजार रिपोर्ट

देसी चना - अब और मंदा नहीं देसी चने के उत्पादन में पोल आने से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश की मंडियों में आवक का दबाव गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 22-23 प्रतिशत कम है। चने की फसल में प्रति हैक्टेयर उत्पादकता कम को देखकर किसान भी मंडियों में माल कम ला रहे हैं। दूसरी ओर अभी से स्टॉकिस्ट लिवाली करने लगे हैं, जबकि राजस्थान की फसल बाकी है, इन परिस्थितियों में वर्तमान भाव 5900/5950 रुपए प्रति क्विंटल में और मंदा नहीं लग रहा है। तुवर- तेजी का व्यापार नहीं रबी सीजन की एमपी, झारखंड में तुवर की फसल 10-12 दिन से आने लगी है। खरीफ की फसल में पोल आ चुकी थी तथा रबी सीजन वाली तुवर की बिजाई ही प्रत्येक वर्ष सिमटती जा रही है, जिससे सकल उत्पादन 34 लाख मैट्रिक टन के करीब रह गया है, जो 2 वर्ष पहले 42 लाख मैट्रिक टन तक हुआ था। रंगून में नयी तुवर की कटाई हो चुकी है तथा उसके शिपमेंट होने लगे है। नये-पुराने माल का एक जहाज तुवर का लगने वाला है, लेकिन पाइपलाइन में माल की कमी होने से अभी और तेजी आ सकती है, लेकिन बढ़े भाव में माल बेचते रहना चाहिए। इसमें ज्यादा मंदा नहीं लग रहा है। मूंग - वर्तमान में तेजी को विराम मूंग की फसल चालू महीने में एमपी की आने वाली है। वर्तमान में पाइप लाइन में ज्यादा माल नहीं होने से बाजार 200 रुपए बढ़कर 8800/9200 रुपए ऊपर में राजस्थान के माल बिकने के बाद अब ठहर गए हैं। इधर खरगोन होशंगाबाद लाइन में फसल तैयार खड़ी है तथा ऊंचे भाव में अब लिवाली दाल धोया व छिलका की सुस्त पड़ गई है, इसे देखते हुए एक बार तेजी को विराम लग रहा है। अतः वर्तमान भाव पर जरूरत के अनुसार ही खरीद करनी चाहिए। उड़द - पाइपलाइन में माल नहीं यद्यपि दाल धोया एवं छिलका की बिक्री अनुकूल नहीं है, तथापि पाइप लाइन में माल नहीं होने से 500 कट्टे हाजिर में उड़द मिलने मुश्किल हो गए हैं। हाजिर में उतरने वाले माल 10100/10125 रुपए प्रति क्विंटल एसक्यू मिल रहे हैं तथा अब अगाऊं सौदे होने बंद हो गए हैं, इन परिस्थितियों में लंबी तेजी तो नहीं लग रही है, लेकिन वर्तमान भाव से मंदा भी नहीं आएगा। अतः तेजी मंदी की बजाय मिलिंग के लिए माल खरीदना चाहिए। बर्मा से नई माल भी लोडिंग में है तथा कुछ कंटेनरों के जहाज अगले एक सप्ताह में भारतीय बंदरगाहों पर उतरने वाले भी हैं। मटर- वर्तमान भाव पर व्यापार करिए सरकार द्वारा मटर का आयात शुल्क मुक्त खोल दिया गया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से 40/41 रुपए प्रति किलो से भारतीय बंदरगाहों पर नीचे का पड़ता नहीं है। दूसरी ओर मटर में इस बार प्रति हेक्टेयर यील्ड कम बैठ रही है, जिस कारण बिजाई के अनुरूप ललितपुर, झांसी, ग्वालियर, जबलपुर, सतना लाइन में आवक नहीं हो रही है। यहां भी मटर के भाव 47/49 रुपए प्रति किलो थोक में हो गए हैं तथा काउंटर सेल में 50/53 रुपए चल रहे हैं। दाल के भाव नीचे आ जाने से इसकी मांग अच्छी चल रही है, इन परिस्थितियों में वर्तमान भाव में और तेजी के आसार दिखाई दे रहे है। मसूर - टेंपरेरी तेजी संभव सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में मसूर की खरीद कर सकती है। कुछ क्षेत्रों में धर्म कांटे भी लगने के समाचार मिल रहे हैं, लेकिन यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सरकार ऊंचे भाव पर खरीद कर मंदे भाव में मलका व दाल की बिक्री करके महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश करेगी, यह संकेत सरकार द्वारा दिया जा चुका है कि 6900 रुपए प्रति क्विंटल की दाल बेची जाएगी। इस स्थिति में बाजार आज थोड़ा बिल्टी बोलने जरूर लगे हैं, लेकिन वर्तमान की तेजी टेंपरेरी लगती है। अतः बढ़े भाव में माल भी बेचते रहना चाहिए।

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