सरसों रिपोर्ट

पिछले सप्ताह की शुरुआत और अंत: पिछले सप्ताह की शुरुआत सोमवार को जयपुर में सरसों ₹6500 प्रति क्विंटल पर खुली और शनिवार शाम को ₹6950 प्रति क्विंटल पर बंद हुई। मांग और मूल्य वृद्धि: पिछले सप्ताह सरसों की मांग बनी रही, जिससे ₹450 प्रति क्विंटल की वृद्धि दर्ज की गई। ड्यूटी में बढ़ोतरी, सीमित आपूर्ति, और सरसों तेल में उछाल के कारण सरसों में ₹400-500 की तेजी आई। अधिकांश स्टॉक सरकारी हाथों में है और बिकवाली की गति डिमांड के मुकाबले कम है। सरकारी एजेंसियों ने अब तक 23 नीलामी सत्रों में लगभग 3 लाख टन सरसों बेची है। नई फसल से पहले लगभग 50-55 नीलामी सत्र और होंगे। वर्तमान में औसतन 125,000 टन सरसों प्रति सत्र बिक रही है। यदि बिकवाली औसत से अधिक होती है, तो 10-12 लाख टन अतिरिक्त बिकने की संभावना है, जो नई फसल तक कम हो सकता है। सरकारी माल और एफएफए समस्या: सरकार द्वारा बेचा जा रहा सरसों 2022-23 की खरीदारी वाला माल है, जिसमें एफएफए (FFA) की समस्याएं आ रही हैं। MOPA/COOIT द्वारा उत्पादन अनुमान में कटौती के बाद खुली मंडी में सरसों की बिकवाली कम हो गई है। आने वाले मुख्य सीजन में सरसों तेल की खपत बढ़ेगी, और मीलों को अधिक क्रशिंग करके तेल की व्यवस्था करनी पड़ेगी। आयातित तेलों पर ड्यूटी में बढ़ोतरी के बाद सरसों तेल का अंतर सोया, पाम, और सूरजमुखी तेल के साथ कम हो गया है। यदि सरसों की आपूर्ति कम रहती है, तो आने वाले त्योहारी सीजन में सरसों तेल के दाम ऊँचे बने रह सकते हैं। सरसों की भविष्य की तेजी के लिए सरसों खल और डीओसी का समर्थन जरूरी है, जो अब तक कम मिला है। आगे की तेजी सरकार की सरसों बिकवाली की मात्रा, बुवाई के मौसम की स्थिति, और खल/डीओसी की स्थिति पर निर्भर करेगी। फिलहाल, सरसों में बड़ी मंदी की संभावना नहीं है, लेकिन तेजी के बाद मुनाफा वसूली हो सकती है। अगले 5-7 दिन में भाव स्थिर होने की संभावना है, उसके बाद तेजी की गति धीमी हो सकती है। हालांकि, दिवाली तक सरसों, सरसों तेल, और खल में तेजी बनी रह सकती है।

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