सरकार द्वारा बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को हटाया

भारत सरकार के द्वारा बासमती चावल पर से न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को हटाने के निर्णय के कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव : निर्यात में वृद्धि: MEP हटने से भारत का बासमती चावल वैश्विक बाजार में पाकिस्तान के साथ प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध होगा। इससे भारत के निर्यात की संभावनाएं बेहतर होंगी, जो पहले MEP नीति के कारण प्रभावित हो गई थीं। इस निर्णय से भारत को पाकिस्तान के खिलाफ खोए हुए बाजार हिस्से को वापस प्राप्त करने में मदद मिल सकती है, जहां वर्तमान में MEP $750 प्रति टन है। किसानों पर प्रभाव: MEP हटने से भारतीय किसानों को लाभ होगा, क्योंकि मंडी के दाम स्थिर या बढ़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, 1509 बासमती धान की कीमत पहले Rs 3,000 प्रति क्विंटल से गिरकर Rs 2,400 प्रति क्विंटल हो गई थी, लेकिन हाल ही में यह Rs 2,900 प्रति क्विंटल तक बढ़ गई है। इससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलने की संभावना है। नीति में और बदलाव की मांग: निर्यातकों ने अब सरकार से गैर-बासमती सफेद चावल पर से निर्यात प्रतिबंध और पार-बॉयल्ड चावल पर 20% निर्यात शुल्क को भी हटाने की मांग की है। ये अतिरिक्त बदलाव गैर-बासमती चावल की गलत वर्गीकरण या अवैध शिपमेंट को रोकने में मदद करेंगे और MEP हटाने के लाभों को सुरक्षित करेंगे। बाजार की स्थिति: पहले की नीति ने पाकिस्तान के निर्यातकों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ दिया था। नई नीति के तहत, भारत को वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी। MEP हटने से अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को स्पष्टता और निश्चितता मिलेगी, जिससे वे भारतीय निर्यातकों के साथ आदेश और अनुबंध सुरक्षित कर सकेंगे। भविष्य की संभावना: MEP हटाने से निर्यात क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ किसानों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित किया जा सकेगा, खासकर जब वे आगामी फसल की तैयारी कर रहे हैं। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) द्वारा निर्यात प्रथाओं की निगरानी से बाजार की पारदर्शिता बनाए रखने में मदद मिलेगी।

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