गेहूं बाजार रिपोर्ट

भारत में चालू वर्ष में गेहूं का उत्पादन 113.92 मिलियन टन रहने का अनुमान है। यह गेहूं 318.33 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जा रहा है। हालांकि, भारत सरकार द्वारा गेहूं की खरीद में पिछले कुछ वर्षों में लगातार गिरावट देखी गई है। उदाहरण के लिए, 2024-25 में सरकार ने केवल 26.6 मिलियन टन गेहूं की खरीद की है, जबकि 2021-22 में यह आंकड़ा 43.34 मिलियन टन था। अक्टूबर 2024 तक भारत के पास 23.78 मिलियन टन गेहूं का भंडार है, जो पिछले वर्ष के भंडार से थोड़ा कम है। सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री रोकने के फैसले से बाजार में उथल-पुथल मची हुई है। अब 31 मार्च, 2025 तक गेहूं केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से ही उपलब्ध होगा। इस निर्णय के कारण स्टॉकिस्ट माल बेचने से हिचकिचा रहे हैं। दूसरी ओर, रोलर फ्लोर मिलों की मांग बढ़ने से गेहूं के दाम तेज हैं और भविष्य में और बढ़ने की संभावना है। छोटे व्यापारियों के पास पर्याप्त मात्रा में गेहूं का स्टॉक नहीं है और बड़ी कंपनियां ही अधिकतर गेहूं का नियंत्रण रखती हैं। इस स्थिति के कारण आने वाले समय में बाजार में गेहूं की कमी हो सकती है। वैश्विक स्तर पर गेहूं उत्पादन में कमी आने के संकेत मिल रहे हैं। 2024-25 के सीजन में वैश्विक गेहूं उत्पादन का अनुमान 796.88 मिलियन टन लगाया गया है। हालांकि, प्रमुख गेहूं उत्पादक देशों जैसे रूस, अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया ने अपने उत्पादन के अनुमान घटा लिए हैं। रूस, जो दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है, ने 2025 के लिए अपना उत्पादन अनुमान 81.8 मिलियन टन कर दिया है, जो 2022 के उत्पादन से काफी कम है। इसी तरह, अर्जेंटीना का अनुमानित उत्पादन अब 19.5 मिलियन टन रह गया है। इन देशों में उत्पादन में कमी के कारण वैश्विक गेहूं भंडार भी कम होने का अनुमान है। गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में कमी आने के कारण गेहूं के दामों में तेजी देखने को मिल रही है। वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतों में वृद्धि होने से भारतीय गेहूं की कीमतों पर भी असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में दिल्ली स्पॉट मार्केट में गेहूं की कीमतें 3100 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर सकती हैं। लेकिन तेजी में डिमांड अनुसार व्यापार करे और मुनाफा उठाते चले।

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